Monday, April 26, 2010

कोई मेरी जगह होता तो मर गया होता |

ऐसी तन्हाई कि साये से डर गया होता,

कोई मेरी जगह होता तो मर गया होता |


चोखट पे मेरी शाम से बैठे है करज़दार,

शब् बिताने को भला कैसे घर गया होता |


इस दौर में इमान के मिलते जो खरीदार,

इतना बेबस हूँ ये सोदा भी कर गया होता |


बक्शे जो जाते उसकी सिफारिश पे गुनहगार,

हँसके सज़दा मैं बुतों को भी कर गया होता |


इतनी सी दुआ मांगते है इश्क के बीमार,

मेरा भी गम तेरी आँखों में भर गया होता |


न फिर मुझे शराबी कहते मेरे सब यार,

सुरूर तेरा जो सर से उतर गया होता |