ऐसी तन्हाई कि साये से डर गया होता,
कोई मेरी जगह होता तो मर गया होता |
चोखट पे मेरी शाम से बैठे है करज़दार,
शब् बिताने को भला कैसे घर गया होता |
इस दौर में इमान के मिलते जो खरीदार,
इतना बेबस हूँ ये सोदा भी कर गया होता |
बक्शे जो जाते उसकी सिफारिश पे गुनहगार,
हँसके सज़दा मैं बुतों को भी कर गया होता |
इतनी सी दुआ मांगते है इश्क के बीमार,
मेरा भी गम तेरी आँखों में भर गया होता |
न फिर मुझे शराबी कहते मेरे सब यार,
सुरूर तेरा जो सर से उतर गया होता |